मुझको फिर वही सुहाना नजारा मिल गया,
इन आँखों को दीदार तुम्हारा मिल गया,
अब किसी और की तमन्ना क्यूँ मैं करूँ,
जब मुझे तुम्हारी बाहों का सहारा मिल गया।

(२)
(३)
छू गया जब कभी ख्याल तेरा,
मेरे वजूद में काश तू उतर जाए,
सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
नजर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
हजारों फूल देखे हैं इस गुलशन में मगर,
खुशबू वहीं तक है जहाँ तक तुम हो।
(३)
इस दिल का कहा मानो एक काम कर दो,
एक बेनाम सी मोहब्बत मेरे नाम कर दो,
मेरे ऊपर एक छोटा सा एहसान कर दो,
एक सुबह को मिलो और शाम कर दो।
(४)
छू गया जब कभी ख्याल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा,
कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया घर में,
और घर देर तक महकता रहा।
(५)













